तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
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तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
Song credit:
- Song – Tum To Thehre Pardesi
- Album – Tum To Thehre Pardesi
- Singer – Altaf Raja
- Lyrics – Zaheer Alam
- Music – Late.Mohd.Shafi Niyazi
- Label – Venus
Lyrics start:
तुम तो ठहरे परदेसी
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
सुबह पहली
सुबह पहली
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
(संगीत)
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
खिंचे खिंचे हुए रहते हो क्यों
खिंचे खिंचे हुए रहते हो ध्यान किसका है
ज़रा बताओ तो ये इम्तिहान किसका है
हमें भुला दो मगर ये तो याद ही होगा
हमें भुला दो मगर ये तो याद ही होगा
नई सड़क पे पुराना मकान किसका है
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
जब तुम्हें अकेले में मेरी याद आएगी
आँसुओं की
आँसुओं की
आँसुओं की बारिश में तुम भी भीग जाओगे
आँसुओं की बारिश में तुम भी भीग जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
ग़म की धूप में दिल की हसरतें ना जल जाए
ग़म की धूप में दिल की हसरतें ना जल जाए
तुझको ऐ तुझको देखेंगे सितारे तो ज़िया मांगेंगे
तुझको देखेंगे सितारे तो ज़िया मांगेंगे
और प्यासे तेरी जुल्फों से घटा मांगेंगे
अपने कांधे से दुपट्टा ना सरकने देना
वरना बूढ़े भी जवानी की दुआ मांगेंगे
ईमान से
ग़म की धूप में दिल की हसरतें न जल जाएं
ग़म की धूप में दिल की हसरतें न जल जाएं
केशुओ के
केशुओ के
केशुओ के साए में कब हमें सुलाओगे
केशुओ के साए में कब हमें सुलाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
इस शहर-ए-ना-मुराद की इज़्ज़त करेगा कौन
अरे हम भी चले गए तो मुहब्बत करेगा कौन
इस घर की देखभाल को वीरानियां तो हों
इस घर की देखभाल को वीरानियां तो हों
जाले हटा दिये तो हिफ़ाज़त करेगा कौन
मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
मुझको क़त्ल कर डालो शौक़ से मगर सोचो
मेरे बाद
मेरे बाद
मेरे बाद तुम किस पर ये बिजलियां गिराओगे
मेरे बाद तुम किस पर ये बिजलियां गिराओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
यूं तो ज़िंदगी अपनी मय-कदा में गुज़री है
यूं तो ज़िंदगी अपनी मय-कदा में गुज़री है
अश्क़ों में हुस्न-ओ-रंग समोता रहा हूँ मैं
अश्क़ों में हुस्न-ओ-रंग समोता रहा हूँ मैं
आंचल किसी का थाम के रोता रहा हूँ मैं
निखरा है जा के अब कहीं चेहरा शऊर का
निखरा है जा के अब कहीं चेहरा शऊर का
बरसों इसे शराब से धोता रहा हूँ मैं
यूं तो ज़िंदगी अपनी मय-कदा में गुज़री है
बहकी हुई बहार ने पीना सिखा दिया
बदमस्त बर्ग-ओ-बार ने पीना सीखा दिया
पीता हूँ इस गरज़ से के जीना है चार दिन
पीता हूँ इस गरज़ से के जीना है चार दिन
मरने के इंतज़ार ने पीना सीखा दिया
यूं तो ज़िंदगी अपनी मय-कदा में गुज़री है
यूं तो ज़िंदगी अपनी मय-कदा में गुज़री है
इन नशीली
इन नशीली
इन नशीली आँखों से कब हमें पिलाओगे
इन नशीली आँखों से कब हमें पिलाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
क्योंकि जब तुमसे इत्तेफ़ाकन
जब तुमसे इत्तेफ़ाकन मेरी नज़र मिली थी
अब याद आ रहा है शायद वो जनवरी थी
तुम यूं मिलीं दुबारा फिर माह-ए-फ़रवरी में
जैसे कि हमसफ़र हो तुम राह-ए-ज़िंदगी में
कितना हसीं ज़माना आया था मार्च लेकर
राह-ए-वफ़ा पे थीं तुम वादों की टॉर्च लेकर
बाँधा जो अहद-ए-उल्फ़त अप्रैल चल रहा था
दुनिया बदल रही थी मौसम बदल रहा था
लेकिन मई जब आई जलने लगा ज़माना
हर शख्स की ज़ुबां पर था बस यही फ़साना
दुनिया के डर से तुमने बदली थीं जब निगाहें
था जून का महीना लब पे थीं गर्म आहें
जुलाई में जो तुमने की बातचीत कुछ कम
थे आसमां पे बादल और मेरी आँखें पुरनम
माह-ए-अगस्त में जब बरसात हो रही थी
बस आँसुओं की बारिश दिन रात हो रही थी
कुछ याद आ रहा है वो माह था सितम्बर
भेजा था तुमने मुझको तर्क़-ए-वफ़ा का लैटर
तुम गैर हो रही थीं अक्टूबर आ गया था
दुनिया बदल चुकी थी मौसम बदल चुका था
जब आ गया नवम्बर ऐसी भी रात आई
मुझसे तुम्हें छुड़ाने सज कर बारात आई
बे-क़ैफ़ था दिसम्बर जज़्बात मर चुके थे
मौसम था सर्द उसमें अरमां बिखर चुके थे
लेकिन ये क्या बताऊं अब हाल दूसरा है
लेकिन ये क्या बताऊं अब हाल दूसरा है
लेकिन ये क्या बताऊं अब हाल दूसरा है
लेकिन ये क्या बताऊं अब हाल दूसरा है
अरे वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है
वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है
वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है
क्या करोगे तुम आखिर
क्या करोगे तुम आखिर कब्र पर मेरी आकर
थोड़ी देर
थोड़ी देर
थोड़ी देर रो लोगे और भूल जाओगे
थोड़ी देर रो लोगे और भूल जाओगे
थोड़ी देर रो लोगे और भूल जाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे
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